उसे पाने की शर्त एक ही है कि मैं खो जाए।
जिसने स्वयं को नही जाना
वह कभी परमात्मा को
नही जान पाएगा,
क्योंकि परमात्मा स्वयं का
ही विराट रूप है।
परमात्मा ने मनुष्य रूप रूप में पैदा कर
तुमको इतना बड़ा सम्मान दे दिया…
तो फिर तुम क्यों बेवजह का सम्मान पाने के चक्करो में
अपना जीवन व्यर्थ कर रहे हो…
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