जिंदगी की भूल नही है।
जीने के ढंग में भूल है।
जीने का ढंग न आया। गलत ढंग से जीए।
तो जहां स्वर्ण बरस सकता था,
वहां हाथ में केवल राख लगी।
जहां फूल खिल सकते थे, वहां केवल कांटे मिले।
और जहां परमात्मा के मंदिर के द्वार खुल जाते,
वहां केवल नर्क निर्मित हुआ।
जीने के ढंग में भूल है।
जीने का ढंग न आया। गलत ढंग से जीए।
तो जहां स्वर्ण बरस सकता था,
वहां हाथ में केवल राख लगी।
जहां फूल खिल सकते थे, वहां केवल कांटे मिले।
और जहां परमात्मा के मंदिर के द्वार खुल जाते,
वहां केवल नर्क निर्मित हुआ।
तुम्हारी जिंदगी तुम्हारे हाथ में है।
जिंदगी कोई निर्मित घटना नही है, अर्जित करनी होती है।
जिंदगी मिलती नही, बनानी होती है।
मिलती तो है कोरी स्लेट, कोरा कागज।
क्या तुम उस पर लिखते हो, वह तुम्हारे हाथ में है।
तुम दुख की गाथा लिख सकते हो।
तुम आनंद का गीत लिख सकते हो।
जिंदगी कोई निर्मित घटना नही है, अर्जित करनी होती है।
जिंदगी मिलती नही, बनानी होती है।
मिलती तो है कोरी स्लेट, कोरा कागज।
क्या तुम उस पर लिखते हो, वह तुम्हारे हाथ में है।
तुम दुख की गाथा लिख सकते हो।
तुम आनंद का गीत लिख सकते हो।
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